श्मशान घाट हादसे में 24 मौतों के जिम्मेदार भ्रष्टाचारियों को क्या मिलेगी सजा?

गाजियाबाद (उप्र)। गाजियाबाद के मुरादनगर में हुए श्मशान घाट हादसे में 24 मौतों का सही मायने में कोई जिम्मेदार है तो वो है भ्रष्टाचार। हादसे के मुख्य आरोपी ठेकेदार अजय त्यागी के पुलिस पूछताछ में किये गए कुबूलनामे से तो यही साबित होता है।   

अजय त्यागी के अनुसार नगर पालिका ईओ व अन्य अधिकारियों ने 16 लाख की रिश्वत लेकर श्मशान घाट के गलियारे के निर्माण का ठेका दिया था। पुलिस के सामने उसने टेंडर प्रक्रिया में 28 से 30 परसेंट कमीशन दिए जाने की बात कबूल की।

पूछताछ के बाद पुलिस ने अजय त्यागी के पार्टनर रहे नेहरू नगर निवासी संजय गर्ग को भी गिरफ्तार कर लिया। दोनों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।

रविवार को मुरादनगर के श्मशान घाट के गलियारे की छत गिरने से अंतिम संस्कार में शामिल होने आए 24 लोगों की दबकर मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे। इस संबंध में पुलिस ने अब तक कुल पांच लोगों को गिरफ्तार किया है।

भुगतान कराने को देना होता था एडवांस कमीशन

अजय त्यागी ने पुलिस को बताया कि फरवरी 2020 में ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया के तहत उसकी फर्म को मुरादनगर श्मशान घाट के सुंदरीकरण व निर्माण का ठेका मिला था। ठेका 55 लाख रुपये में मिला था।

उसे मार्च में 26 लाख की पहली किश्त और जुलाई महीने में 16 लाख की दूसरी किश्त मिली। ठेका आवंटित होने की एवज में उसने जेई के कहने पर नगर पालिका ईओ निहारिका सिंह के कार्यालय में 16 लाख रुपये की रिश्वत दी थी। अजय ने बताया कि अधिकारियों को 28 से 30 परसेंट कमीशन एडवांस देना पड़ता था।

कॉरीडोर की आड़ में खेल गया भ्रष्टाचार का खेल

अजय त्यागी ने पूछताछ में खुलासा किया कि श्मशान घाट के निर्माण में लिंटर व डिजाइन की जरूरत नहीं थी लेकिन कॉरीडोर की आड़ में भ्रष्टाचार का खेल खेला गया। सरकारी धन का गबन करने के लिए बड़ा बजट बनाया गया।

अजय ने कबूल किया कि निर्माण में मानक के अनुरूप सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया गया। जेई व ईओ ने पर्यवेक्षण के नाम पर खानापूर्ति की। नगर पालिका के अधिकारियों के साथ मिलकर सारा खेल खेला गया।

कमीशनखोरी में कई रसूखदार और अधिकारी-कर्मचारी आए रडार पर

पुलिस पूछताछ में अजय त्यागी ने बताया कि कमीशनखोरी का जाल ऊपर तक फैला हुआ है। सभी तक तय रकम पहुंचने के बाद ही टेंडर मिलता है और भुगतान होता है।

उसने बताया कि निचले कर्मचारी को मोहरे भर हैं, कमीशन की मोटी रकम ऊपर तक जाती है। अजय से पूछताछ के बाद कई रसूखदार और अधिकारी-कर्मचारी रडार पर आ गए हैं।

मुकदमे में बढ़ाई भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा

पूछताछ में नगर पालिका के अधिकारियों का भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद पुलिस ने मुकदमे में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा भी बढ़ा दी।

एसएसपी का कहना है कि सीओ स्तर के अधिकारी को मामले की विवेचना सौंपी गई है। भ्रष्टाचार व गबन में जिसकी भी संलिप्तता मिलेगी, उसके खिलाफ कड़ा एक्शन होगा। दोषी पाए जाने वाले किसी व्यक्ति के प्रति कोई रियायत नहीं बरती जाएगी।

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