
लखनऊ। भारत की सांस्कृतिक विरासत कथक नृत्य को लोगों के दिलों तक पहुँचाने को संकल्पित संस्था ‘स्तंभ नृत्यार्चना’ के तत्वाधान में हुए बसंत उत्सव कार्यक्रम में दर्शक शास्त्रीय संगीत की मनमोहक कला को देखकर झूम उठे।
कार्यक्रम में संस्था के कुशल व नृत्य में प्रवीण शिष्यों द्वारा दी गई शानदार प्रस्तुति देखकर लोगों के मुख से बरबस यही निकला कि भारत की इन नृत्य कला का कोई जवाब नहीं।
जिस कुशलता व भावपूर्ण तरीके से यह प्रस्तुतियां हुईं उससे इन कलाकारों की गुरु व ‘स्तंभ नृत्यार्चना’ की संस्थापक अर्चना तिवारी के ज्ञान, कला के प्रति उनके समर्पण व इसके लिए किया गया परिश्रम साफ़ नजर आ रहा था और इसके लिए उन्हें दर्शकों की सराहना भी खूब मिली।
कहते हैं कलाकार का अंतर्मन बहुत भावुक होता है व उसका प्रकटीकरण अक्सर आँखों से निकलते आंसू के रूप में होता है और यही देखने को मिला गुरु अर्चना तिवारी के संबोधन के समय, जब संस्था और अपने शिष्यों के विषय में बताते हुए उनकी आँखों से अश्रुधारा बहने लगीं।
कार्यक्रम का शुभारंभ गणेश वंदना के साथ हुआ। गणेश वंदना की खासियत यह रही कि इसमें गणेश स्त्रोतम के ‘नारद उवाच’ को कथक नृत्य में पिरोकर प्रस्तुत किया गया। इसे संस्था के वरिष्ठ शिष्यों अश्विनी श्रीवास्तव व प्रिया बहादुर ने प्रस्तुत किया।
द्वितीय प्रस्तुति माँ सरस्वती की वंदना थी जिसे कलाकारों ने कथक नृत्य के सुन्दर अंगो व पद संचालन के माध्यम से प्रस्तुत कर उपस्थित लोगों को भावविभोर कर दिया। यह प्रस्तुति देविका, इशिता, अनायता, रिया व सताक्षी ने दी।
तत्पश्चात संस्था की प्रतिभाशाली शिष्या हर्षा त्रिपाठी ने बहुत ही मनमोहक तरीके से शिव वंदना प्रस्तुत किया। एकल नृत्य भी हर्षा त्रिपाठी ने बहुत ही सुंदर व भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया। उनके मननोहक नृत्यार्चन को स्वर गुरु अर्चना तिवारी ने प्रदान किया।
कार्यक्रम में तबले पर संगत दे रहे थे गुरु राजीव शुक्ला तो हारमोनियम व स्वर लहरियों से समा बांधा गुरु कमलाकांत ने। सम्पूर्ण कार्यक्रम गुरु अर्चना तिवारी के कुशल नेतृत्व में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम में मेधज टेक्नोकॉन्सेप्ट के सीएमडी डॉ. समीर त्रिपाठी की विशेष उपस्थिति रही। इसके अतिरिक्त बड़ी संख्या में कलाप्रेमी दर्शक मौजूद रहे।