2024 तक तक सभी घरों में पाइप से पहुँचने लगेगा शुद्ध पेयजल: अनुराग श्रीवास्तव

लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्त्वाकांक्षी जल जीवन मिशन के तहत उत्तर प्रदेश में हर घर नल से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की परियोजना अब आकार लेती नजर आ रही है।

इस योजना को अमली जामा पहनाने वाले सबसे मुख्य शख्सियत प्रमुख सचिव, नमामि गंगे व राज्य पेयजल स्वच्छता मिशन अनुराग श्रीवास्तव ने बताया की उप्र के सभी घरों में पाइप पेयजल योजना के माध्यम से स्वच्छ जलापूर्ति की जानी है। इसके लिए सभी घरों में Functional Household Tap Connection (FHTC) दिये जाने है, जिसे वर्ष 2024 तक शतप्रतिशत किया जाना है।

उन्होंने कहा कि पूर्व में उत्तर प्रदेश में इण्डिया मार्का-।। हैण्डपम्प के माध्यम से जलापूर्ति की जा रही थी। जबकि इस परियोजना में प्रदेश के सभी घरों में पाइपलाइन के माध्यम से स्वच्छ जलापूर्ति की जानी है। प्रदेश का बुन्देलखण्ड और विन्ध्य क्षेत्र जल के मामले में सदैव अभावग्रस्त रहा है इसलिए सर्वप्रथम इसी क्षेत्र के सभी ग्रामों को आच्छादित करने के लिए परियोजनाओं का गठन किया गया।

अनुराग श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि जल जीवन मिशन की गाइड लाइन्स दिसम्बर, 2019 में आई। इस गाइड लाइन्स के तहत बुन्देलखण्ड और विन्ध्य क्षेत्र के सभी ग्रामों को आच्छादित करने के लिए परियोजनाओं का गठन किया गया।

यह कार्य प्रारम्भ हो चुका है जिसके मार्च, 2022 तक पूर्ण हो जाने सम्भावना है। जल जीवन मिशन लागू होने के समय प्रदेश की केवल 1.9 प्रतिशत आबादी Functional Household Tap Connection (FHTC) से आच्छादित थी, जिसे वर्ष 2024 तक शतप्रतिशत किया जाना है।

अनुराग श्रीवास्तव ने कहा परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सिंचाई, वन, पंचायती राज और ग्राम्य विकास आदि विभागों का सहयोग लिया गया है। परियोजनाओं का क्रियान्वयन करने के व विभागों से सामंजस्य बनाने के लि‍ए जिला स्तर पर

जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला पेयजल एवं स्वच्छता मिशन (DWSM) का गठन किया गया है जबकि राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन (SWSM) का गठन किया गया है।

प्रथम चरण में बुन्देलखण्ड और विन्ध्य की परियोजनायें गठित करके कार्य प्रारम्भ किया गया था और उसके उपरान्त शेष उत्तर प्रदेश के लिए मण्डलवार उच्च गुणवत्ता वाली कार्यदायी संस्थाओं का चयन Open Competative Bidding के माध्यम से किया गया है।

सभी भुगतान Third Party Inspection (TPI) के बाद ही किये जायेंगे। सभी भुगतान ऑनलाइन एमबी प्राप्त होने पर और Third Party Inspection (TPI) की जॉच में सही पाये जाने पर PFMS के माध्यम से ऑनलाइन किये जायेंगे।

पूर्व में जल निगम द्वारा जिन परियोजनाओं में कार्य किया जा रहा था, उनमें अक्सर समयबद्धता का पालन न होने एवं गुणवत्ता में कमी की शिकायतें आती थी। इनको दूर करने के लिए इस परियोजना में प्रदेश स्तर पर Open Competative Bidding के माध्यम से सवर्श्रेष्ठ कार्यदायी संस्थाओं का चयन किया गया है।

सम्पूर्ण प्रदेश में कार्यदायी संस्थाओं द्वारा ही अगले 10 वर्षों तक इन परियोजनाओं का रख-रखाव किया जायेगा और इस बीच में ग्राम पंचायतों की Capacity Building की जायेगी, ताकि 10 वर्ष बाद जब परियोजनायें ग्राम पंचायत को हैण्डओवर हों, तो पंचायतें अपने स्वयं के स्रोतों से इन परियोजनाओं का अनुरक्षण कर सकें।

परियोजना में जन-जागरूकता, Bottom-up-Approach के दृष्टिगत हर गॉव के लिए Village Action Plan बनाया जाएगा और हर कदम पर जन सहभागिता सुनिश्चित की जायेगी। इसके लिए Open Competative Bidding के माध्यम से प्रदेश में 165 एनजीओ का Implementation Support Agency (ISA) के तौर पर चयन किया गया है।

परियोजनाओं की मॉनीटरिंग के लि‍ए जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला पेयजल एवं स्वच्छता मिशन (DWSM) का गठन किया गया है जबकि राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन (SWSM) का गठन किया गया है।

Source Sustainability (जल स्रोतों का संरक्षण) भी इस योजना का महत्वपूर्ण अंग है। सूखा ग्रसित क्षेत्रों में बांध और नदियो के माध्यम से पानी की व्यवस्था की जा रही है और जल स्रोतों के संरक्षण के लिए सिंचाई, वन,

पंचायती राज और ग्राम्य विकास इत्यादि सभी विभागों से सामंजस्य बनाते हुए कार्यवाही की जा रही है। Grey Water Management की कार्यवाही भी की जा रही है। जलापूर्ति एवं जल संरक्षण को जन-जन का आन्दोलन बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं।

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