सीएम योगी ने दी संत रविदास जयंती पर बधाई, मांगा मंदिर के सुंदरीकरण का प्रस्ताव

CM Yogi on sant ravidas jayanti

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मैं जब भी काशी जाता हूं, तो मुझे संत रविदास जी के मंदिर जाने का सौभाग्य प्राप्त होता है। हम लोग वहां संत रविदास जी की पावन जन्मस्थली पर सुंदरीकरण का एक बहुत बड़ा कार्य कर रहे हैं।

मैं समिति के सदस्यों से अनुरोध करूंगा कि इस स्थान के सुंदरीकरण के लिए एक अच्छी कार्य योजना बनाकर मुझे भेजें, जिससे यहां संत रविदास जी की स्मृतियों को संजोया जा सके।

यह बातें उन्होंने राजधानी लखनऊ के कृष्णा नगर स्थित संत रविदास मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में कहीं। साथ ही संत रविदास जयंती के अवसर पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि भी अर्पित की। उन्होंने कहा कि शुद्ध मन से की गई साधना प्रतिफलित होती है।

मन है चंगा, कठौती में गंगा कहने वाले महान संत रविदास इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। अटल जी ने एक बात कही थी की आदमी न छोटा होता है न बड़ा होता है। आदमी तो आदमी होता है।

व्यक्ति अपने कर्मों के माध्यम से कैसे महानता हासिल करता है, कैसे लोकपूज्य हो सकता है, संत रविदास जी महाराज का जीवन चरित्र हम सबको इस बारे में निरंतर प्रेरणा प्रदान करता है।

सीएम योगी ने कहा कि आज से 645 वर्ष पूर्व इस धरती पर एक संत का प्राकट्य हुआ था, जिन्होंने काशी की धरती पर जन्म लेकर भारत की सनातन धर्म की परंपरा को एक नई ऊंचाइयां दीं वो महान संत थे संत रविदास जी।

आज उनकी पावन जयंती है। मैं इस अवसर आप सबको बधाई देता हूं। आज का ये पावन दिवस हम सबको प्रेरणा प्रदान करता है।

सीएम योगी ने संत रविदास से जुड़ी प्रेरक कथा का किया जिक्र 

सीएम योगी ने कहा कि भारतीय मनीषा में धर्म को कर्तव्य माना गया है। संत रविदास जी उसकी जीती जाती प्रतिमूर्ति हैं। रविदास जी नित्य गंगा स्नान करने जाते थे।

एक दिन काम ज्यादा होने के कारण वो स्नान करने नहीं जा सके। उन्होंने अपने मित्र को एक आना देकर गंगा में चढ़ाने को दिया।

मित्र स्नान के पश्चात अपना दान चढ़ाने के बाद रविदास जी द्वारा दिए गए दान को चढ़ाया तो नदी में से हांथ बाहर आया। उन्होंने ये बात संत रविदास जी को जाकर बताई और पूंछा की मैने भी दान किया लेकिन, वो तो नदी बह गया पर आपका दान लेने स्वयं गंगा मैया आईं? तो संत रविदास जी ने ये शब्द कहे थे की ‘‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’’।

साधना अंतःकरण का भाव होता है। अगर हम अंतःकरण से शुद्ध हैं तो साधना का प्रतिफल भी उसी रूम में प्राप्त होगा। अगर अंतःकरण से कलुषित हैं तो हमें कभी भी साधना का फल प्राप्त नहीं होगा।

संत रविदास जी ने पूरे जीवन पर्यंत समाज के तमाम रूढ़िगत पाखंडों का सामना करते हुए सनातन हिंदू धर्म को मजबूती देने का काम किया।

उन्होंने समिति के सदस्यों को धन्यवाद देते हुए कहा कि संत रविदास सेवा समिति विगत 83 वर्षों से अपने सीमित साधनों से संत रविदास जी की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार कार्य कर रही है। सनातन हिंदू धर्म को मजबूती प्रदान करते हुए एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना साकार कर रही है।

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