
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि कृषि सुधार कानूनों को वापस तो नहीं लिया जाएगा लेकिन किसानों की आपत्तियों और शंकाओं को दूर करने के लिए संशोधन किए जा सकते हैं और लिखित में भरोसा दिया जा सकता है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसानों की ओर से जताई गई चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि किसान सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर विचार करें और जब भी वे बात करना चाहेंगे, सरकार तैयार है।
कृषि मंत्री ने कहा हम लोगों को लगता था कि कानूनी प्लेटफॉर्म का फायदा लोग अच्छे से उठाएंगे। किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित होगा, नई तकनीक से जुड़ेगा और बुआई के समय ही उसको मूल्य की गारंटी मिल जाएगी।
तोमर ने कहा उनकी पहली मांग कानून निरस्त करने की थी, सरकार का पक्ष है कि कानून के वो प्रावधान जिन पर किसानों को आपत्ति है,
उन प्रावधानों पर सरकार खुले मन से बातचीत के लिए तैयार है। सरकार की कोई इगो नहीं है और न ही सरकार को उनके साथ बैठकर चर्चा करने में कोई है।
कृषि मंत्री ने कहा कि बातचीत में ये बात आती थी कि ये कानून वैध नहीं है क्योंकि कुछ लोगों ने बता रखा था कि कृषि राज्य का विषय है और केंद्र सरकार इस पर कानून नहीं बना सकती।
MSP को लेकर सरकार ने अपना रुख साफ़ करते हुए नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा हम MSP पर लिखित आश्वासन देने को तैयार।
किसान, कृषि और गांव को आत्मनिर्भर बनाकर ही देश आत्मनिर्भर बनेगा। PM किसान सम्मान निधि के तहत हर साल किसानों को 75 हज़ार करोड़ रुपये दिए जाते हैं।