
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को अब अपनी फसलों के अवशेषों के प्रबंधन के लिए महंगी मशीनों को खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
यूपी सरकार ने प्रदेश की 126 सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों के फार्म मशीनरी बैंक में 378 फसल अवशेष प्रबंधन यंत्र ट्रैश मल्चर और रिवर्सिबल एम.बी.प्लाऊ, उपलब्ध करा दिये गए हैं, जो गन्ना किसानों को गन्ना /चीनी मिल समितियों के माध्यम से न्यूनतम किराये पर उपलब्ध कराए जाएंगे।
आमतौर पर फसल उत्पादन के बाद किसानों की सबसे बड़ी समस्या फसलों के अवशेष प्रबंधन की होती है, गन्ना कटाई के बाद खेत में लगभग 10-15 टन प्रति हेक्टेयर गन्ने की सूखी पत्तियां जमीन की सतह पर एक मोटी परत के रूप में जमा हो जाती हैं जिससे आगे चलकर उर्वरकों के छिड़काव और अन्य दूसरे कामों में काफी दिक्कत होती है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव गन्ना विकास, संजय भूसरेड्डी ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन के प्रयोग से गन्ने की पत्तियों को खेत में ही काटकर मिलाने से जहाँ एक ओर गन्ना किसानों को भूमि उर्वरता शक्ति बढ़ाने में सहयोग प्राप्त होगा
वहीं दूसरी ओर उन्हें महंगी मशीनें खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस प्रक्रिया से गन्ना किसानों को लाभ होगा।
भूसरेड्डी ने बताया गन्ने की खेती की लागत कम करने और आधुनिक खेती को बढावा के उद्देश्य से यूपी सरकार ने सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों में फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना की है।
इस योजना के अन्तर्गत गन्ना खेती मे उपयोग में आने वाले फसल अवशेष प्रबन्धन से सम्बन्धित 12 प्रकार के 35 मशीनों को शामिल किया गया है।
ऐसे किसान जो इन मशीनों को नहीं खरीद सकते हैं, उन्हें किराए पर गन्ना समितियों के माध्यम से यह सभी मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी।
इस योजना के माध्यम से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा तथा समय की भी बचत होगी।