गृहिणियों की अहमियत व आय पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, कही ये बात

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नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट ने में गृहिणियों की काल्पनिक आय के संबंध में अहम फैसला देते हुए कहा है कि गृहिणियों की आय की गणना उनके काम, श्रम और बलिदान के आधार पर होनी चाहिए।

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा है कि घर में किसी महिला के काम करने की अहमियत दफ्तर जाने वाले उसके पति की तुलना में किसी भी मायने में कम नहीं है। अदालत साल 2014 में दिल्ली में हुई एक सड़क दुर्घटना में दंपती की मौत के मामले में सुनवाई कर रही थी।

क्या है मामला?

घटनाक्रम के मुताबिक पति एक शिक्षक था और पत्नी गृहिणी। मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने दंपति की दो पुत्रियों और एक अभिभावक की अपील पर फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के निर्णय में सुधार कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले में सुधार करते हुए मुआवजा राशि को 22 लाख से बढ़ाकर 33.20 लाख कर दिया है।

हाई कोर्ट ने इस मामले में दुर्घटना दावा अधिकरण द्वारा निर्धारित मुआवजे की राशि 40.71 लाख रूपये से कम कर 22 लाख कर दी थी।

हाई कोर्ट की ओर से दिए गए अपने फैसले में कहा था कि इस दुर्घटना में जान गंवाने वाली महिला गृहिणी थी और वह आमदनी अर्जित करने वाली सदस्य नहीं थी। अब बीमा कंपनी मई, 2014 से नौ फीसद सालाना ब्याज के साथ इस राशि का भुगतान करेगी।

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