
कुंडा (प्रतापगढ़)। कहावत है जो बोवोगे, वही काटोगे। जिले में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से उत्पन्न परिस्थितियों में यह कहावत सटीक बैठती है लेकिन आजकल गांवों में भी ग्रामसभा की जमीनों, सड़कों और नहरों के किनारे लगे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है।
उप्र के प्रतापगढ़ जनपद कुंडा में थाना बाघराय चौकी शकरदहा के अंतर्गत ग्राम वल्दी मिश्र का पुरवा में प्रतिबंधित पेड़ गूलर की अवैध कटाई हो रही है। दबंग पेड़ की कटाई करा रहे हैं।
यह पर्यावरण और परिवेश के लिए घातक साबित हो रहा है। पेड़ों की अंतहीन कटाई ने जहां मानवीय जीवन को प्रभावित किया है, वहीं असंतुलित मौसम चक्र को भी जन्म दिया है लेकिन माफियाओं को इससे कोई मतलब नहीं है।
अगर वनों की कटाई यूं ही होती रही, तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी पर मानव जीवन दुश्वार हो जाएगा। साथ ही जानवरों व पक्षियों के अस्तित्व पर भी संकट के बादल छा जाएंगे। कभी नहर के किनारे बबूल, अर्जुन, और जामुन के पेड़ो से हरा भरा यह इलाका आज विरान हो गया है।
कहते हैं कि इस पथ पर इतने घने वृक्ष थे, कि एक पेड़ से दूसरे पेड़ के बीच कभी धूप आती ही नहीं थी। लेकिन तस्करों ने ऐसे कई इलाकों को वृक्ष विहीन कर दिया है।
एक-एक कर गायब हो रहे गांव के प्रतिबंधित पेड़
ग्राम बल्दी मिश्र का पुरवा से ग्रामसभा की जमीन सहित नहर के किनारे लगे वन विभाग के पेड़ गायब हो रहे हैं। सूत्रों की मानें तो इन पेड़ों को लकड़ी गांव के ही दबंग वन माफिया थोड़ा-थोड़ा कर किश्तों में काटते हैं।
जिससे पेड़ खड़े तो रहते हैं, लेकिन धीरे-धीरे सूखते जाते हैं और अंत में रात के समय वन माफिया इसे काटकर गिरा देते हैं।
एक ओर सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए करोड़ों रुपए खर्च पौधे लगवा रही है। वहीं दूसरी ओर वन माफिया पेड़ों को काट रहे हैं।