हिंदू लड़कियों को ‘अपनी बहन’ समझें मुस्लिम युवक: सपा सांसद एसटी हसन

लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश के मद्देनजर मुस्लिम लड़कों को चेताया सपा सांसद ने

मुरादाबाद। प्रदेश में योगी सरकार ने लव जिहाद को लेकर एक अध्यादेश पास करा लिया है, जिसके तहत कड़े प्रावधान किए गए हैं।

मुरादाबाद से सपा सांसद एसटी हसन ने “लव जिहाद” को एक राजनीतिक स्टंट करार दिया और इस अध्यादेश के मद्देनजर मुस्लिम लड़कों से कहा कि वह हिंदू लड़कियों को अपनी ‘बहनों’ की तरह मानें।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में अवैध धर्मांतरण कानून ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020’ के मसौदे को मंजूरी दे दी गई।

अध्यादेश की मंजूरी पर सपा सांसद हसन ने कहा, ‘लव जिहाद एक राजनीतिक स्टंट है। हमारे देश में लोग अलग-अलग धर्म के बावजूद अपने जीवनसाथी का चयन करते हैं।

हिंदू मुस्लिमों से शादी करते हैं और मुस्लिम हिन्दुओं से। हालांकि, यह संख्या बहुत कम है लेकिन अगर आप ‘लव जिहाद’ के मामलों की तह तक जाते हैं तो आप पाएंगे कि लड़कियों को पता होता है कि लड़के मुस्लिम थे।

सामाजिक दबाव के कारण या अगर परिवार में कुछ आंतरिक मुद्दों की वजह से वे कहती हैं कि वे नहीं जानती थी कि लड़का मुसलमान है और वे इसे ‘लव जिहाद’ कहते हैं।

उन्होंने कहा, ‘मैं मुस्लिम लड़कों को सलाह देता हूं कि वे हिंदू लड़कियों को अपनी बहन की तरह मानें। किसी के बहकावे में न आएं।

उन्होंने कहा एक कानून बनाया गया है, जिसके तहत आपको जबरदस्त यातनाएं दी जा सकती हैं। अपने आप को बचाएं और किसी भी प्रलोभन या प्यार में न पड़ें।’

बता दें कि ‘लव जिहाद’ का मुद्दा बीते कुछ समय से 21 वर्षीय छात्रा की मौत के बाद से उबाल पर है।

अक्टूबर में बल्लभगढ़ में एक मुस्लिम युवक और उसके दोस्त ने कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

इससे पहले उप्र के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने ‘गैरकानूनी’ धार्मिक रूपांतरण के खिलाफ अध्यादेश लाने का फैसला किया है।

इसके तहत बहला-फुलसा कर, जबरन, छल-कपट कर, प्रलोभन देकर या किसी कपट रीति से या विवाह द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में किया गया परिवर्तन गैरकानूनी होगा। ऐसा करने पर अधिकतम 10 वर्ष की सजा दी जाएगी। साथ ही 25 हजार रुपये जुर्माना भी होगा।

और क्या है अध्यादेश में

अध्यादेश के तहत ऐसे विवाह के लिए जिसमें धर्म परिवर्तन होना हो, विहित प्राधिकारी यानी डीएम से अनुमति लेनी होगी। इसके लिए जिला मजिस्ट्रेट को दो माह पूर्व में सूचना देनी होगी।

इसका उल्लंघन करने पर छह माह से लेकर तीन वर्ष तक की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही जुर्माना 10 हजार रुपये से कम नहीं होगा।

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