उप्र पंचायत चुनाव: आरक्षण फार्मूले में देरी से दावेदार परेशान, एजेंडे में हैं किसान

लखनऊ। उप्र में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी जोरों पर है। गांव-गांव दावेदारों की लंबी सूची हैं लेकिन पंचायत चुनाव में आरक्षण तय होने में हो रही देरी ने दावेदारों की धड़कनें बढा दी हैं।

आरक्षण फॉर्मूला आने में अभी 15 दिन और लगेंगे। सत्ता के गलियारों से आ रही खबरों के अनुसार आरक्षण के चलते इस बार दिग्गजों को झटका लगना तय है। 70 प्रतिशत सीटों पर बदलाव हो सकता है।

पश्चिम यूपी में किसान एजेंडे में

किसान आंदोलन ने अचानक सभी पार्टियों के एजेंडे में किसानों को शामिल कर दिया है। पार्टियों ने किसानों के सहारे ही पंचायत चुनाव की तैयारी तेज कर दी है।

रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयंत चौधरी ने तो मथुरा की पंचायत में ऐलान कर दिया कि पंचायत चुनाव में जिला पंचायत में हर एक सदस्य किसान को चुना जाए। कई अन्य पार्टियों ने भी तैयारी तेज कर दी है।

किसान आंदोलन के बीच अब तेजी से पंचायत चुनाव की तैयारी चल रही है। भाजपा, सपा, कांग्रेस, रालोद, बसपा ने तो तैयारी शुरू कर ही दी है।

अब किसानों को लेकर अपना दल (एस), राष्ट्रीय एकता पार्टी, आजाद समाज पार्टी, बहुजन मुक्ति पार्टी समेत कई पार्टियां भी सामने आ गई हैं। किसानों के नाम पर गांव-गांव में अब संभावित प्रत्याशी तय किये जा रहे हैं।

मेरठ और सहारनपुर मंडल में बड़ी पार्टियों के बीच चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी और जकी अहमद की राष्ट्रीय एकता पार्टी ने भी गांव-गांव अभियान शुरू कर दिया है।

साफ है कि बड़ी पार्टियों के साथ ही छोटी पार्टियों ने भी किसानों को एजेंडे में शामिल कर पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है।

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