
नई दिल्ली। पिछले एक साल से भी अधिक समय से पूरी दुनिया को तबाह करने वाला कोरोना वायरस ने पहले से अधिक तेजी के साथ अपना स्वरूप बदला है। हालाँकि अभी तक विज्ञान को चकमा देने वाले इस खतरनाक वायरस को वैज्ञानिक पहचानने में काफी हद तक कामयाब हुए हैं।
भारतीय वैज्ञानिकों ने वायरस की स्थिति का लगाया पता
बंगलूरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने वायरस की स्थिति पर अध्ययन के बाद इसकी पुष्टि की है। इसके अनुसार, बंगलूरू में 3 सैंपल में 27 म्यूटेशन पाए गए। हर सैंपल में 11 बार वायरस ने अपना स्वरूप बदला है जबकि वायरस के स्वरूप बदलने का राष्ट्रीय औसत अब तक 8.4 और विश्व स्तर पर 7.3 बार दर्ज किया है।
रिसर्च ऑफ प्रोटेम रिसर्च जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया कि वायरस अपनी संरचना में कई प्रोटीन का उत्पादन करता है। वायरस कैसे उत्परिवर्तित होता है और इसका प्रोटीन क्या है? इसे जानने के लिए बायोकेमिस्ट्री विभाग के प्रोफेसर उत्पल और उनकी टीम ने यह अध्ययन किया।
242 में मिला ब्रिटिश, दक्षिण अफ्रीकी स्वरूप
विदेशों में कोरोना के अलग-अलग स्वरूप सामने आने के बाद भारत के मरीजों में भी या दिखाई देने लगे हैं। अब तक देश में 242 संक्रमित मिले हैं जिनमें वायरस का नया स्वरूप देखने को मिला है। हालांकि यह स्वरूप कितना घातक है इसके बारे में अब तक इसका पता नहीं चल सका है।
जानकारी के अनुसार, जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए वैज्ञानिकों को कोरोना के नए स्वरूपों का पता चला है। ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में वायरस के जिन स्वरूपों ने सबसे ज्यादा असर दिखाया है, वही भारत के मरीजों में भी मिल रहे हैं। राहत की खबर है कि नए स्वरूप को लेकर अब तक सामुदायिक फैलाव के सुबूत भी नहीं मिले हैं।