अपनी बनाई विशेषज्ञ समिति को बदलने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट खफा, कही ये बात

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान और केंद्र के बीच छिड़ी जंग को सुलझाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था।

अब एक किसान संगठन ने कोर्ट से आग्रह किया है कि प्रदर्शनकारी किसानों और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध को हल करने के लिए शीर्ष अदालत द्वारा गठित पैनल से सदस्यों को हटाया जाए।

सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में भारतीय किसान यूनियन (लोकशक्ति) ने पक्षपात की संभावना जताते हुए कहा था, “इन व्यक्तियों को सदस्य के रूप में गठित करके न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन होने वाला है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त सदस्य, किसानों को समान मापदंडों पर कैसे सुनेंगे जब उन्होंने पहले से ही इन तीनों कृषि कानून का समर्थन किया हुआ है।”

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने सुनवाई के दौरान कहा- “हमने समिति में विशेषज्ञों को नियुक्त किया है क्योंकि हम विशेषज्ञ नहीं हैं।

आप समिति में किसी पर संदेह कर रहे हैं क्योंकि उसने कृषि कानूनों पर विचार व्यक्त किए हैं?” पैनल फैसला सुनाने का आधिकार नहीं है तो इसमें पक्षपात कहां से आ गया। वे कृषि क्षेत्र में प्रतिभाशाली दिमाग वाले लोग हैं। आप उनका नाम कैसे मलिन कर सकते हैं?

यूनियन ने अपनी याचिका में इस पैनल में विरोध प्रदर्शन करने वाले कृषि नेताओं के साथ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की नियुक्ति करने का अनुरोध किया है। SC ने 12 जनवरी को किसानों की शिकायतों को सुनने और आठ सप्ताह में एक रिपोर्ट पेश करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया था।

कोर्ट की बनाई कमिटी में अशोक गुलाटी, अनिल घनवट, भूपिंदर सिंह मान और प्रमोद जोशी के नाम थे। बाद में भूपिंदर सिंह मान ने किसानों के हितों का हवाला देते हुए खुद को पैनल से हटा लिया था।

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