धनतेरस को लेकर है भ्रम, जानिए किस तिथि के पक्ष में हैं अधिकतर ज्योतिषी

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12 या 13 नवंबर को है धनतेरस, इसे लेकर है भ्रम  

नई दिल्ली। धनतेरस की तिथि को लेकर लोग भ्रम की स्थिति में हैं। लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि धनतेरस 12 नवंबर को मनाएं या फिर 13 नवंबर को।

कुछ लोग कह रहे हैं धनतेरस 12 नवंबर को सायं 6:31 से लग रही है, कुछ लोग कह रहे हैं कि धनतरेस 12 नवंबर को ही रात्रि 9.30 पर लग रही है। ऐसे में धनतेरस की तिथि 12 नवंबर को लेकर भी संशय है।

दरअसल धनतेरस की पूजा और खरीददारी प्रदोष काल में सही मानी गई है। अधिकांश विद्वानों की राय में धनतेरस का त्योहार 13 नवंबर को होगा लेकिन कुछ स्थानों पर रात्रिव्यापिनी त्रयोदशी के कारण धनतेरस का पर्व गुरुवार को भी होगा।

ज्योतिषियों के अनुसार धनतेरस के दोनों ही बहुत शुभ हैं। दोनों ही दिन खरीददारी की जा सकती है।

धनतेरस पर यमपूजा दीपदान रात को किया जाता है। काशी के महावीर पंचांग, गणेश आपा पंचांग, राजधानी और विश्वविजयी पंचांग के अनुसार धनतेरस का पर्व 12 नवंबर को मनाना उचित है।

अधिकांश विद्वानों का कहना है कि त्रयोदशी 12 नवंबर को रात साढ़े नौ बजे लगेगी और 13 नवंबर को शाम 5.59 मिनट तक जारी रहेगी।

उदयकाल के कारण  शुक्रवार को त्रयोदशी रहने और संध्याकाल में उपस्थित रहने से धनतेरस का पर्व शुक्रवार को ही मनाना यथेष्ट और शास्त्र सम्मत है।

काशी के सभी मंदिरों में गुरुवार को ही धनतेरस है जबकि मथुरा-वृंदावन में यह पर्व 13 नवंबर को है।

आचार्य श्री ठाकुर ने बताया कि इस वर्ष धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 32 मिनट से शुरु होकर 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगा।

इस साल पूजा के शुभ मुहूर्त की अवधि 27 मिनट की है। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक इसी समय दीपदान करना भी शुभ होगा।

13 को खरीदारी के मुहूर्त

प्रात: 7 से10 बजे तक

दोपहर 12 से 2.30 बजे तक

शाम  04 से 5.30  बजे तक

रात्रि 8.45 से 10.25 बजे तक

धनतेरस की पूजा का समय

12 नवंबर- रात्रि 9.30 बजे

13 नवंबर- शाम 5.30 से 7.30 बजे तक ( स्थिर लग्न, वृष)

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