
लखनऊ। उप्र के मऊ जनपद के ग्राम काजा खुर्द के मूल निवासी गुजरात कैडर के आईएएस अरविंद कुमार शर्मा का 2 वर्ष पूर्व वीआरएस ले लेना राजनैतिक हलकों में चर्चा का विषय बन चुका है।
यह चर्चा दो वजहों से है पहला तो अरविंद कुमार शर्मा का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चहेते अफसरों की लिस्ट में होना। सभी जानते है कि पीएम मोदी राजनेताओं से अधिक अफसरों पर भरोसा करते हैं।
यह बात इसलिए भी सही लगती है क्योंकि उनके चहेते कई अफसर आज अहम संवैधानिक पदों पर है। इस मायने में देखा जाय तो अरविंद कुमार शर्मा का 2 वर्ष पूर्व वीआरएस लेना किसी बड़ी राजनैतिक या संवैधानिक नियुक्ति की ओर इशारा करता है।
दूसरी वजह और भी महत्त्वपूर्ण है और वो है अगले साल उप्र का विधानसभा चुनाव। 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई भाजपा के लिए वही प्रदर्शन दोहरा पाना टेढ़ी खीर लग रहा है और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी यह जानता है।
भारत की राजनीति को थोड़ा सा भी समझने वाले यह जानते हैं कि दिल्ली फतह का रास्ता यूपी से ही होकर गुजरता है। ऐसे में यूपी को जीतना सभी राजनैतिक दलों की प्राथमिकता होती है।
अब यूपी किसी बाज़ीगर की झोली में रखी कोई वस्तु तो है नहीं जिसे निकाल कर किसी को भी दे दिया जाय। यूपी जीतने के लिए राजनैतिक बाज़ीगरी की ही जरूरत होगी और इसमें सबसे ज्यादा माहिर इस समय भाजपा ही दिखती है।
उप्र में कई गुटों में बंटी भाजपा यह जानती है कि कोई भी सरकार लाख अच्छा काम कर ले, चुनाव तो अंततः समीकरणों से ही जीते जाते हैं और उप्र का सबसे बड़ा समीकरण है जातिगत समीकरण।
कोई राजनैतिक दल भले ही खुले तौर पर इसे स्वीकार न करे लेकिन भारत की राजनीति की तल्ख़ हकीकत है जातिगत राजनीति।
अरविंद कुमार शर्मा की बात करें तो वह भूमिहार समुदाय से आते हैं। पूर्वांचल की कई विधानसभाओं पर जीत-हार की स्थिति में होने के नाते भाजपा इस समुदाय को पूरी तरह से अपने पाले में लाना चाहती है। अरविंद शर्मा का अनुभव व योग्यता इसमें सोने पे सुहागा का काम कर रहा है।
ऐसे में यह माना जा रहा है कि मोदी के खास अफसर और यूपी से जुड़े होने के नाते उन्हें कोई बड़ी भूमिका मिल सकती है। सूत्रों की मानें तो अरविंद कुमार शर्मा को योगी सरकार एक अहम जिम्मेदारी देने जा रही है।
चर्चा है कि उन्हें उप्र का डिप्टी सीएम या कहीं का राज्यपाल भी बनाया जा सकता है। अब अरविंद कुमार शर्मा को कौन सा पद मिलेगा यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन एक बात साफ़ नजर आ रही है कि भाजपा यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर चुकी है और वो भी पूरी गंभीरता के साथ।