उप्र: योगी सरकार ने सवा पांच लाख गोवंशों को किया संरक्षित, छुट्टा पशुओं से मिली निजात

1071 गोवंशों की 1069 कुपोषित बच्चों के परिवार कर रहे देखभा

लखनऊ। उप्र में लोगों को छुट्टा पशुओं की समस्याओं से निजात दिलाने के लिए योगी सरकार अथक प्रयास कर रही है।

चूंकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्नाथ का अपने अगाध गौ प्रेम के चलते गौ-संरक्षण और संवर्धन के कार्यों से विशेष जुड़ाव रहा है इसलिए प्रदेश सरकार ने गायों के भरण पोषण और उनकी सुरक्षा से जुड़ी कई योजनाएं लागू की हैं।

पशुपालन विभाग के मुताबिक प्रदेश में गायों की संख्या 1.9 करोड़ और भैंसों की संख्या करीब 3.3 करोड़ है।

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 5,145 निराश्रित गोवंश आश्रय स्थल संचालित

मुख्यमंत्री के गौ संरक्षण अभियान के चलते प्रदेश के 11.84 लाख निराश्रित गोवंशों में से अब तक 5,25,376 गोवंशों को गौ-आश्रय केन्द्रों में संरक्षित किया गया है। सरकार की ओर से करीब 5,145 निराश्रित गोवंश आश्रय स्थल संचालित हैं।

मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना

मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना के तहत एक गाय का पालन किसान के करने पर सरकार 900 रुपए हर माह दे रही है। सहभागिता योजना और पोषण मिशन के तहत 1069 कुपोषित बच्चों के परिवारों को 1071 गोवंश दिया गया है।

इयर टैगिंग पशुओं के लिए आधार कार्ड

पशुपालन विभाग की ओर से पालतू पशुओं की इयर टैगिंग की जा रही है। यह इयर टैग पशुओं के लिए आधार कार्ड सरीखा है, जिसमें उसके मालिक की पहचान, नस्ल और वर्तमान स्थिति की पूरी जानकारी आनलाइन उपलब्ध होगी।

इयर टैग के नंबर पर क्लिक करने के साथ पशुओं का पूरा डाटा ऑनलाइन उपलब्ध होगा। प्रदेश भर में गोवंशीय और महिषवंशीय पशुओं में 2,23,83,742 की टैगिंग की जा चुकी है, जिसमें 95,77,781 गोवंश हैं।

योगी सरकार देश की पहली ऐसी सरकार है, जिसने 31 मार्च 2021 तक गोवंश के आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया को पूरा करने का संकल्प लिया है।

14 गौशालाओं को दिया अनुदान

पशुपालन विभाग को जिलों में पंजीकृत गौशालाओं के अनुदान के लिए 52 आवेदन मिले हैं, जिसमें 14 गौशालाओं को अनुदान दिया गया है। साथ ही जिले स्तर पर 20 और शासन स्तर पर 18 गौशालाओं को अनुदान देने की कार्यवाही चल रही है।

गौशालाओं में मनरेगा के जरिये रोजगार सृजन

विभाग की ओर से अधिक से अधिक रोजगार सृजन के लिए मनरेगा को भी गौ-आश्रय स्थलों से जोड़ा गया है।

मनरेगा के तहत प्रदेश के गौ-आश्रय स्थलों पर करीब 3,116 परियोजनाएं संचालित हैं, जिसके द्वारा 4,18,209 मानव दिवस का सृजन किया जा चुका है। साथ ही 1056 गौ-आश्रय स्थलों पर जैविक खाद तैयार की जा रही है।

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