Gujarat News: गुजरात सरकार नागरिकों में पठन-पाठन की आदत को प्रोत्साहित करने के लिए लगातार ठोस कदम उठा रही है। राज्य में पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने की इस पहल की शुरुआत वर्ष 2010 में हुई थी, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वांचे गुजरात’ (पढ़े गुजरात) अभियान शुरू किया था।
इस अभियान का उद्देश्य प्रत्येक नागरिक को नियमित रूप से पढ़ने के लिए प्रेरित करना और पुस्तकालयों को ज्ञान का प्रमुख केंद्र बनाना था।
पुस्तकालयों का तेज़ी से विस्तार
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने इस अभियान को नई गति दी है। पिछले वर्ष एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए राज्य के 21 जिलों की 50 तहसीलों और 7 आदिवासी जिलों की 14 तहसीलों में कुल 64 सरकारी पुस्तकालय शुरू करने की योजना बनाई गई थी। इनमें से 53 पुस्तकालय पहले से कार्यरत हो चुके हैं, जबकि शेष 11 का कार्य प्रगति पर है।
वर्तमान समय में गुजरात में कुल 197 सरकारी पुस्तकालय सक्रिय हैं, जिनमें 33 जिला पुस्तकालय और 150 तहसील पुस्तकालय शामिल हैं। इसके अलावा राज्य में मध्यस्थ पुस्तकालय, चलते-फिरते पुस्तकालय, राज्य केंद्रीय आरक्षित ग्रंथ भंडार, स्टेट आर्ट लाइब्रेरी और महिला ग्रंथालय भी संचालित किए जा रहे हैं।
71 नए पुस्तकालयों की मंजूरी
गुजरात सरकार ने इस वर्ष तहसील स्तर पर 71 नए सरकारी पुस्तकालयों की स्थापना को मंजूरी दी है। इनके पूरा होने के बाद राज्य की हर तहसील में कम से कम एक सरकारी पुस्तकालय कार्यरत होगा। यह कदम राज्य को पुस्तकालय नेटवर्क के मामले में आत्मनिर्भर बना देगा और गांव-गांव तक पुस्तक संस्कृति पहुंचाने में मदद करेगा।
पाठकों की बढ़ती संख्या
राज्य के पुस्तकालयों में पाठकों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
- मध्यस्थ पुस्तकालयों में प्रतिदिन 500 से अधिक नागरिक पठन-पाठन का लाभ लेते हैं।
- जिला पुस्तकालयों में यह संख्या औसतन 150 से अधिक है, जबकि कुछ बड़े पुस्तकालयों में यह आंकड़ा 250 तक पहुंच जाता है।
- तहसील पुस्तकालयों में भी प्रतिदिन 100 से अधिक पाठक आते हैं।
ये आंकड़े बताते हैं कि लोग पुस्तकालयों की ओर लौट रहे हैं और पठन-पाठन में उनकी रुचि लगातार बढ़ रही है।
आदिवासी इलाकों में विशेष ध्यान
पठन-पाठन की संस्कृति को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने के लिए सरकार ने आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भी विशेष पहल की है। राज्य के 7 आदिजाति जिलों की 14 तहसीलों में पुस्तकालय खोले गए हैं, जहां आदिवासी समुदाय के लोग पुस्तकें पढ़ने और ज्ञान अर्जित करने का लाभ उठा रहे हैं। इससे आदिवासी युवाओं में शिक्षा और प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं के प्रति रुचि भी बढ़ रही है।
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राष्ट्रीय पुस्तक पढ़ें दिवस का महत्व
हर वर्ष 6 सितंबर को ‘नेशनल रीड अ बुक डे’ (राष्ट्रीय पुस्तक पढ़ें दिवस) के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को अपनी व्यस्त दिनचर्या से कुछ समय निकालकर पुस्तक पढ़ने की आदत विकसित करने के लिए प्रेरित करना है। गुजरात सरकार इस दिवस को विशेष रूप से मनाकर नागरिकों को पठन-पाठन की प्रवृत्ति अपनाने और उसका आनंद लेने के लिए प्रोत्साहित करती है।
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भविष्य की दिशा
विशेषज्ञों का मानना है कि गुजरात सरकार की यह पहल केवल पठन-पाठन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में ज्ञान, संस्कृति और जागरूकता फैलाने का भी माध्यम बनेगी। आने वाले समय में जब हर तहसील में सरकारी पुस्तकालय उपलब्ध होंगे, तब यह अभियान राज्य के हर नागरिक को पढ़ने और सीखने के लिए एक सुनहरा अवसर प्रदान करेगा।
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