Yogi Government: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सुशासन का लक्ष्य तभी प्राप्त हो सकता है, जब न्यायिक व्यवस्था त्वरित, सुलभ और पारदर्शी हो। उन्होंने शनिवार को लखनऊ में आयोजित उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ के 42वें अधिवेशन को संबोधित करते हुए न्यायपालिका को सुशासन का रक्षक बताया और न्यायिक अधिकारियों के सुदृढ़ीकरण के लिए कई घोषणाएं कीं।
इस अवसर पर सीएम योगी ने न्यायिक सेवा संघ के लिए 50 करोड़ रुपये का कॉर्पस फंड देने की घोषणा की। उन्होंने अधिवेशन को “न्यायिक अधिकारियों का महाकुंभ” बताते हुए कहा कि यह न केवल एकता और सहयोग का मंच है, बल्कि व्यावसायिक दक्षता और बेस्ट प्रैक्टिस को बढ़ावा देने का भी अवसर है।
मुख्यमंत्री ने गर्व व्यक्त किया कि उत्तर प्रदेश में देश का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय मौजूद है, जिसकी मुख्य पीठ प्रयागराज और बेंच लखनऊ में स्थित है। उन्होंने कहा कि यह न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश की न्याय व्यवस्था में विश्वास और मजबूती का प्रतीक है।
योगी ने बताया कि वर्ष 2024 में 72 लाख मामलों का निस्तारण हुआ, हालांकि अब भी 1.15 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं, जो एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि 1 जुलाई 2024 से लागू नए आपराधिक कानून – भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम – को न्यायिक अधिकारियों ने तत्परता से अपनाया है, जिससे न्याय व्यवस्था और सुदृढ़ हुई है।
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सीएम योगी ने न्यायपालिका के लिए किए गए निवेश का भी विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि प्रयागराज और लखनऊ में उच्च न्यायालय के लिए आवासीय व बुनियादी ढांचे के विकास पर सैकड़ों करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इसके अलावा, प्रदेश के 10 जनपदों में इंटीग्रेटेड कोर्ट परिसर बनाने के लिए 1,645 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 6 जिलों में काम शुरू हो चुका है।
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महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को लेकर जीरो टॉलरेंस नीति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में 381 पॉक्सो और फास्ट-ट्रैक कोर्ट स्थापित किए गए हैं। साथ ही केंद्र सरकार के सहयोग से कोर्ट रूम और आवासीय निर्माण के लिए 2023-24 में 148 करोड़, 2024-25 में 239 करोड़ और 2025-26 में 75 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ ने 102 वर्षों के अपने इतिहास में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं और आगे भी न्यायिक व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी, त्वरित और सुलभ बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।
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