Delhi News: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच (सेंट्रल रेंज) ने नशे के कारोबार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए चार तस्करों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इनके पास से 16.24 किलो अफीम बरामद की है। पकड़े गए सभी आरोपी उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के रहने वाले हैं और एक संगठित नेटवर्क का हिस्सा थे, जो दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों में मादक पदार्थों की तस्करी करता था।
दिल्ली पुलिस की बड़ी कार्रवाई
पुलिस को 25 जुलाई को सूचना मिली कि बरेली के दो सप्लायर – हरी शंकर और विकास – अफीम की एक बड़ी खेप दिल्ली लेकर आ रहे हैं। सूचना के आधार पर इंस्पेक्टर वीर सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम बनाई गई, जिसमें एसआई अबोध शर्मा, एएसआई दीप चंद और कई हेड कांस्टेबल व कॉन्स्टेबल शामिल थे। पूरी कार्रवाई एसीपी राजबीर मलिक की देखरेख और डीसीपी विक्रम सिंह के निर्देशन में की गई।
सुबह करीब 10:20 बजे पुलिस टीम ने भैरव रोड अंडरपास, रिंग रोड पर एक मारुति ऑल्टो कार (नंबर यूपी 24 पी 2276) को रोका। कार की तलाशी में तीन प्लास्टिक बैग बरामद हुए, जिनमें कुल 16.24 किलो अफीम छिपाई गई थी। मौके पर ही तीन आरोपी – हरी शंकर (22), विपिन शर्मा (35) और विकास (20) को गिरफ्तार कर लिया गया।
यह भी पढ़ें…
कपास किसानों पर संकट, आयात शुल्क हटाने के फैसले पर गरजे केजरीवाल
चार आरोपी गिरफ्तार
मामले में एनडीपीएस एक्ट की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई। जांच आगे बढ़ी तो पुलिस ने 23 अगस्त को चौथे आरोपी अजय वर्मा (22) को उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के गांव दमरी, थाना फैजगंज से गिरफ्तार कर लिया। अजय भी इस नेटवर्क का अहम सदस्य था और सप्लाई चेन को संचालित करने में भूमिका निभाता था।
बड़े नेटवर्क का हिस्सा
पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया कि वे बरेली निवासी राहुल नामक ड्रग हैंडलर के लिए काम करते थे। राहुल और उसका परिवार लंबे समय से दिल्ली-एनसीआर में अफीम और अन्य नशे के कारोबार में सक्रिय है। पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि इस नेटवर्क का संपर्क एक नाइजीरियाई नागरिक ‘जीन’ से है, जो पहले दिल्ली के तिलक नगर क्षेत्र से सक्रिय था और अब विदेश से नेटवर्क चला रहा है।
यह भी पढ़ें…
दिल्ली सरकार का व्हाट्सएप गवर्नेंस प्लेटफॉर्म शुरू; मैरिज सर्टिफिकेट और ड्राइविंग लाइसेंस पाए WhatsApp पर
बेरोजगार युवाओं को बनाते थे निशाना
पुलिस जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि यह गिरोह बेरोजगार युवाओं और नाबालिगों को लालच देकर ड्रग तस्करी में शामिल करता था। वे अफीम को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर दिल्ली-एनसीआर में सप्लाई करते थे। खेप को राज्य की सीमाओं से बाहर लाने के लिए निजी वाहनों का इस्तेमाल किया जाता था। इसके लिए लेयर्ड डिलीवरी सिस्टम अपनाया जाता, जिससे पुलिस की पकड़ में आना मुश्किल हो सके।
अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट से जुड़ाव
क्राइम ब्रांच के अधिकारियों का कहना है कि यह गैंग महज एक स्थानीय गिरोह नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट का हिस्सा है। दिल्ली में हुई बरामदगी इस नेटवर्क की जड़ें गहरी होने का संकेत है। फिलहाल मुख्य सप्लायर राहुल समेत कई आरोपी फरार हैं और उनकी तलाश में पुलिस की टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं।
यह भी पढ़ें…