Pithori Amavasya 2025: भारतीय पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 22 अगस्त 2025 (शुक्रवार) को पिठोरी अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाने वाली यह तिथि पितरों की स्मृति, तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
यह एक ऐसा दिन है, जो हमें हमारे पितरों की याद दिलाता है और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सही दिशा में आगे बढ़ाने का अवसर देता है। पिठोरी अमावस्या का पर्व हर साल भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है।
तिथि और समय
इस वर्ष भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 22 अगस्त को दोपहर 11:56 बजे तक रहेगी। इसके बाद अमावस्या तिथि का आरंभ होगा। इस दिन पितरों की शांति और आशीर्वाद हेतु तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है।
पिठोरी अमावस्या का महत्व
पिठोरी अमावस्या को पितृ दोष निवारण का विशेष दिन माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किया गया तर्पण और पिंडदान परिवार में सुख-शांति लाता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन धार्मिक कार्यों में प्रयोग होने वाली कुशा का संग्रह किया जाता है, जो एक माह तक उपयोगी मानी जाती है।
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पूजा विधि
प्रातः स्नान के बाद पितरों के नाम से तिल, जल और अन्न अर्पित करें।
ब्राह्मणों को भोजन और दान देने का विशेष महत्व है।
तर्पण और पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में समृद्धि आती है।
पूजा ब्रह्म मुहूर्त से लेकर शुभ मुहूर्त तक की जा सकती है।
राहुकाल से बचते हुए श्रद्धा और आस्था के साथ किए गए कर्म विशेष फलदायी माने जाते हैं।
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आध्यात्मिक संदेश
पिठोरी अमावस्या केवल पितरों को स्मरण करने का दिन नहीं है, बल्कि यह हमारी परंपरा और संस्कृति से जुड़े रहने का अवसर भी है। श्रद्धा भाव से की गई पूजा न केवल पूर्वजों की आत्मा को शांति देती है, बल्कि परिवार में सुख, शांति और प्रगति का मार्ग भी प्रशस्त करती है।
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