SCO Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन में आयोजित 25वें शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद सोमवार को भारत के लिए रवाना हो गए। दो दिवसीय इस यात्रा के दौरान उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत कई वैश्विक नेताओं से द्विपक्षीय वार्ता की।
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी यात्रा को सफल करार देते हुए कहा, “चीन की एक उपयोगी यात्रा का समापन हुआ। यहां मैंने एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लिया और विभिन्न विश्व नेताओं से मुलाकात की। साथ ही प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर भारत की स्पष्ट स्थिति को रखा। इस सफल आयोजन के लिए मैं राष्ट्रपति शी जिनपिंग, चीनी सरकार और वहां की जनता का आभार व्यक्त करता हूं।”
आतंकवाद और कट्टरपंथ पर कड़ा रुख
शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए नृशंस आतंकवादी हमले का जिक्र किया और सदस्य देशों से आतंकवाद के खिलाफ ठोस और सामूहिक कार्रवाई की अपील की।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद का वित्तपोषण और कट्टरपंथ का प्रसार एससीओ क्षेत्र के लिए गंभीर चुनौती है। मोदी ने सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने और उसका समर्थन करने वाले देशों को जवाबदेह ठहराने की जरूरत पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने भारत की एससीओ रणनीति को तीन स्तंभों—सुरक्षा, संपर्क और अवसर—पर आधारित बताया और कहा कि इन मूल्यों को मजबूत करने से संगठन अधिक प्रभावी और प्रासंगिक बनेगा।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात
रविवार को प्रधानमंत्री मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक की। दोनों नेताओं ने अक्टूबर 2024 में रूस के कज़ान में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद से संबंधों में आई सकारात्मक प्रगति की सराहना की।

बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि भारत और चीन विकास के साझेदार हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं, और मतभेदों को विवाद में नहीं बदलना चाहिए। दोनों नेताओं ने व्यापार और निवेश सहयोग को बढ़ावा देने पर भी चर्चा की।
पुतिन और अन्य देशों के नेताओं से वार्ता
प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ भी विस्तृत बातचीत की। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों और वैश्विक परिस्थितियों पर विचार-विमर्श किया।

इसके अलावा, पीएम मोदी ने मालदीव, नेपाल, लाओस, वियतनाम, आर्मेनिया और तुर्कमेनिस्तान के नेताओं से भी मुलाकात की। इन बैठकों में क्षेत्रीय स्थिरता, व्यापार, ऊर्जा, शिक्षा और तकनीकी सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।
जापान यात्रा का उल्लेख
चीन यात्रा से पहले प्रधानमंत्री मोदी जापान के दो दिवसीय दौरे पर थे। वहां उन्होंने भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया और टोक्यो में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि भारत-जापान की साझेदारी एशिया और विश्व की शांति व प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री मोदी की लगातार विदेश यात्राएं यह संकेत देती हैं कि भारत वैश्विक मंच पर अपनी सक्रिय और निर्णायक भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है। एससीओ शिखर सम्मेलन में उनका कड़ा संदेश, विशेषकर आतंकवाद के खिलाफ, यह दर्शाता है कि भारत क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।