विश्व फेफड़ों का कैंसर दिवस: खतरे पहचानें, सुरक्षा अपनाएं

विश्व फेफड़ों का कैंसर दिवस हर साल 1 अगस्त को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को फेफड़ों के कैंसर के बारे में जागरूक करना है, जो पूरी दुनिया में कैंसर से होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है। यह बीमारी अक्सर तब पता चलती है जब यह अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी होती है, इसलिए समय पर जांच और जानकारी बेहद जरूरी है।

इसके सामान्य लक्षणों में लगातार खांसी, सीने में दर्द, सांस फूलना, वजन का तेजी से घटना और खून की खांसी शामिल हैं। इसका सबसे बड़ा कारण धूम्रपान है, लेकिन पैसिव स्मोकिंग, वायु प्रदूषण, औद्योगिक रसायन और पारिवारिक इतिहास भी इसके जोखिम को बढ़ाते हैं।

यह दिवस डॉक्टरों, सामाजिक संस्थाओं और मरीजों को एक मंच पर लाता है ताकि वे जानकारी साझा कर सकें, सहयोग दे सकें और बचाव के उपायों को बढ़ावा दे सकें। साथ ही यह सरकारों और संस्थानों को बेहतर स्क्रीनिंग और इलाज की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रेरित करता है। विश्व फेफड़ों का कैंसर दिवस हमें यह याद दिलाता है कि जागरूकता, रोकथाम और समय पर उपचार से कई ज़िंदगियाँ बचाई जा सकती हैं।

धूम्रपान करने वालों (Smokers) में कैंसर का जोखिम:
फेफड़ों का कैंसर मुख्य रूप से धूम्रपान के कारण होता है।

  • सिगरेट, बीड़ी, हुक्का, सिगार आदि में मौजूद निकोटीन और टार जैसे हानिकारक रसायन फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाते हैं।
  • एक लम्बे समय तक धूम्रपान करने वालों में फेफड़ों के कैंसर का खतरा 15 से 30 गुना तक बढ़ जाता है।
  • जितनी अधिक मात्रा और समय तक कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है, उसका खतरा उतना ही अधिक होता है।

धूम्रपान न करने वालों (Non-Smokers) में कैंसर का जोखिम:

धूम्रपान न करने के बावजूद कुछ लोग फेफड़ों के कैंसर की चपेट में आ सकते हैं। कारणों में शामिल हैं:

  • पैसिव स्मोकिंग (Secondhand smoke): अगर कोई धूम्रपान करने वाले के आस-पास रहता है, तो उसे भी वही जहरीले तत्व साँसों के ज़रिए मिलते हैं। इससे कैंसर का खतरा 20–30% तक बढ़ जाता है।
  • वायु प्रदूषण: शहरों में बढ़ते प्रदूषण, विशेष रूप से डीजल धुएं और सूक्ष्म कणों (PM2.5) से भी जोखिम बढ़ता है।
  • रेडॉन गैस: कुछ घरों या इमारतों की नींव से निकलने वाली यह गैस प्राकृतिक रूप से पाई जाती है और यह एक ज्ञात कैंसर कारक है।
  • औद्योगिक रसायनों का संपर्क: एस्बेस्टस, आर्सेनिक, और अन्य हानिकारक गैसों/धूलों से लंबे समय तक संपर्क।
  • वंशानुगत कारण (Genetic factors): परिवार में कैंसर का इतिहास भी एक जोखिम है।

 

फेफड़ों के कैंसर से बचाव – मुख्य उपाय:

  1. धूम्रपान बंद करें – तंबाकू सेवन छोड़ना सबसे जरूरी कदम है।
  2. पैसिव स्मोकिंग से बचें – दूसरों के धुएं से भी खतरा होता है।
  3. प्रदूषण से बचाव करें – ज़रूरत हो तो मास्क पहनें, स्वच्छ हवा में रहें।
  4. हानिकारक रसायनों से बचें – फैक्ट्री या निर्माण स्थल पर सुरक्षा उपकरण पहनें।
  5. रेडॉन गैस की जांच कराएं – घरों में जमा यह गैस खतरनाक हो सकती है।
  6. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं – पौष्टिक खाना, व्यायाम, तनाव कम रखें।
  7. नियमित जांच कराएं – खासकर अगर आप स्मोकर हैं या पहले रहे हैं।

धूम्रपान करने वालों में सबसे ज्यादा जोखिम होता है, लेकिन धूम्रपान न करने वाले भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं। फेफड़ों की देखभाल सभी के लिए ज़रूरी है, चाहे वे स्मोकर हों या नॉन-स्मोकर।

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