Donald Trump: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही उनकी नीतियां विवादों और कानूनी अड़चनों में उलझी रही हैं। अब दो बड़े फैसलों पर अदालतों ने हस्तक्षेप करते हुए उन्हें अवैध करार दिया है। पहला मामला कैलिफोर्निया में सैन्य तैनाती का है, जबकि दूसरा ट्रंप की व्यापक टैरिफ नीति से जुड़ा है।
इन दोनों निर्णयों को ट्रंप प्रशासन के लिए गंभीर झटका माना जा रहा है, जिसने उनकी “अमेरिका फर्स्ट” नीति की नींव को कमजोर कर दिया है।
कैलिफोर्निया में सैन्य तैनाती अवैध घोषित
जून 2025 में राष्ट्रपति ट्रंप ने लॉस एंजिल्स में बड़े पैमाने पर हो रही इमिग्रेशन छापेमारी विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए 4,000 नेशनल गार्ड्स और 700 एक्टिव-ड्यूटी मरीन्स को तैनात करने का आदेश दिया था। उन्होंने इसे टाइटल 10 कानून के तहत वैध ठहराया और दावा किया कि देश “विद्रोह के खतरे” का सामना कर रहा है।
लेकिन कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसम ने इसे राज्य की संप्रभुता पर हमला बताते हुए अदालत में चुनौती दी। इसके बाद यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, सैन फ्रांसिस्को के जज चार्ल्स ब्रेयर ने 52 पेज के विस्तृत फैसले में कहा कि यह कदम 1878 के पॉसी कोमिटाटस एक्ट का सीधा उल्लंघन है। यह कानून अमेरिकी सेना को घरेलू कानून-व्यवस्था बनाए रखने में इस्तेमाल करने पर रोक लगाता है।
जज ब्रेयर ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि ट्रंप प्रशासन ने सैनिकों और सैन्य वाहनों का इस्तेमाल भीड़ नियंत्रण, ट्रैफिक ब्लॉकेड और फेडरल एजेंटों की सुरक्षा के लिए किया। इसे उन्होंने कार्यकारी शक्ति के दुरुपयोग का उदाहरण बताया। अदालत ने फैसले को 12 सितंबर तक स्थगित किया है ताकि प्रशासन सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सके।
गवर्नर न्यूसम ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा— “डोनाल्ड ट्रंप फिर से हार गए। हमारी सड़कों पर सैन्यीकरण अवैध है और अदालत ने इसे मान लिया है।”
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टैरिफ नीति पर भी झटका
इसी वर्ष अप्रैल में ट्रंप प्रशासन ने व्यापार घाटा कम करने के लिए 60 से अधिक देशों पर रिसिप्रोकल टैरिफ लगाए थे। फरवरी में चीन, कनाडा और मैक्सिको पर फेंटेनिल तस्करी रोकने के नाम पर अतिरिक्त टैरिफ लागू किए गए। ट्रंप ने इन्हें IEEPA (इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट) के तहत “राष्ट्रीय आपातकाल” घोषित कर उचित ठहराया।
लेकिन 29 मई को यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने इन्हें अवैध ठहराया। इसके बाद 29 अगस्त को फेडरल सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स ने भी 7-4 के बहुमत से इस निर्णय को बरकरार रखा। अदालत ने साफ किया कि IEEPA टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं देता; यह केवल वास्तविक आपातकालीन राष्ट्रीय खतरों के लिए है।
जजों ने अपने फैसले में मेजर क्वेश्चन डॉक्ट्रिन का हवाला दिया, जिसके अनुसार किसी भी बड़े नीतिगत बदलाव के लिए कांग्रेस की स्पष्ट मंजूरी आवश्यक है। यह निर्णय फिलहाल 14 अक्टूबर तक स्थगित है, ताकि प्रशासन सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सके।
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असर और राजनीतिक मायने
इन दोनों फैसलों से ट्रंप प्रशासन को भारी नुकसान हो सकता है।
- सैन्य तैनाती का मामला संघीय बनाम राज्य शक्तियों के टकराव का प्रतीक बन गया है।
- टैरिफ विवाद से न केवल वैश्विक व्यापार संबंध प्रभावित होंगे, बल्कि अमेरिका को लगभग 42 अरब डॉलर का राजस्व वापस लौटाना पड़ सकता है।
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ट्रंप ने अदालतों के निर्णयों को “हाईली पार्टिसन” करार दिया और कहा कि अगर टैरिफ हटाए गए तो “अमेरिका नष्ट हो जाएगा”। वहीं, डेमोक्रेट्स इन फैसलों को लोकतांत्रिक संस्थाओं की जीत मान रहे हैं और ट्रंप पर सैन्यीकरण और सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगा रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं, जहां उनके द्वारा नियुक्त तीन जजों की उपस्थिति उन्हें फायदा पहुंचा सकती है। हालांकि, मौजूदा हालात में अदालतों के ये फैसले उनकी कार्यकारी शक्तियों पर सीधा प्रहार करते हैं और 2025 की राजनीतिक परिस्थिति को गहराई से प्रभावित कर सकते हैं।
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