Lucknow News: उत्तर प्रदेश सरकार जल्द ही सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 की जगह नया अधिनियम लाने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रस्तावित कानून में पारदर्शिता, जवाबदेही और संस्थाओं के वित्तीय अनुशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
क्यों जरूरी है नया कानून?
- वर्तमान कानून 164 साल पुराना है, जो आज की परिस्थितियों के लिए अपर्याप्त माना जा रहा है।
- संस्थाओं की संपत्तियों की मनमानी बिक्री, सदस्यता विवाद और चुनावी गड़बड़ियां बार-बार सामने आती हैं।
- वित्तीय पारदर्शिता और ऑडिट के प्रावधान भी पर्याप्त नहीं हैं।
क्या होंगे बदलाव?
- पंजीकरण और नवीनीकरण ऑनलाइन और केवाईसी आधारित होंगे।
- संस्थाओं की संपत्तियों की सुरक्षा के लिए ठोस व्यवस्था।
- विवादों का समयबद्ध निस्तारण, ताकि कार्य प्रभावित न हो।
- सरकार या प्रशासन का न्यूनतम हस्तक्षेप, संचालन की जिम्मेदारी प्रबंध समिति की होगी।
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कितनी संस्थाएं प्रभावित होंगी?
प्रदेश में वर्तमान में 8 लाख से अधिक संस्थाएं पंजीकृत हैं, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, खेल और उद्योग समेत अनेक क्षेत्रों में काम कर रही हैं। नए अधिनियम के लागू होने से इनके संचालन में स्पष्टता और विश्वास बढ़ने की उम्मीद है।
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सरकार का मकसद
सरकार चाहती है कि संस्थाएं समाजोपयोगी कार्य और अधिक प्रभावी ढंग से कर सकें और जनता का भरोसा बनाए रखें। नए कानून को जल्द ही विधानसभा में पेश किए जाने की संभावना है।
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