Uttarakhand News: बागेश्वर जिले के पैसानी गांव और आसपास की कनलगढ़ घाटी में 34 साल बाद आई भीषण आपदा ने ग्रामीणों की जिंदगी तहस-नहस कर दी है। भारी बारिश और बादल फटने की घटना ने खेत-खलिहान से लेकर बुनियादी ढांचे तक सब कुछ तबाह कर दिया। गांवों का बिजली, पानी और सड़क संपर्क पूरी तरह टूट गया है। 14 पैदल पुल बह जाने से ग्रामीण बाहरी दुनिया से कट गए हैं।
पांच लोगों की मौत, टीमें तलाश में जुटीं
आपदा में दो परिवार पूरी तरह प्रभावित हुए हैं। अब तक पांच लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें से तीन शव बरामद किए जा चुके हैं। बाकी लापता लोगों की तलाश में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार अभियान चला रही हैं।
कैंपों में शरण, लेकिन भय का माहौल
प्रभावित ग्रामीण फिलहाल कैंप बैसानी में शरण लिए हुए हैं। लेकिन भय और अनिश्चितता के कारण वे अपने घर लौटने को तैयार नहीं हैं। ग्रामीणों का कहना है कि न पीने का पानी है, न भोजन बनाने की व्यवस्था। खेत-खलिहान और मवेशी तक तबाह हो चुके हैं।
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विस्थापन की मांग
जिला पंचायत सदस्य बलवंत आर्या ने बताया कि हालात इतने खराब हैं कि पूरा बुनियादी ढांचा चरमरा गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से प्रभावितों को तुरंत सुरक्षित स्थान पर बसाने की अपील की है। पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य हीरा सिंह बघरी ने भी कहा कि 14 पुल बह चुके हैं और लोग लगातार खतरे में हैं। ग्रामीण सुरक्षित जगह पर स्थायी रूप से विस्थापित होना चाहते हैं।
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“हमें सुरक्षित जीवन चाहिए”
ग्रामीण देव राम ने पत्रकारों से कहा, “हमें न कपड़े चाहिए, न भोजन। सब कुछ तबाह हो चुका है। प्रशासन भोजन दे रहा है, लेकिन उसे पकाने का साधन नहीं है। हमें केवल एक सुरक्षित जगह चाहिए, जहां हम सामान्य जीवन जी सकें।”
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