भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में गतिरोध के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के निर्यात पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। यह दर 1 अगस्त 2025 से लागू होगी। इसके साथ ही रूस से तेल और रक्षा सौदों पर अतिरिक्त सज़ा की चेतावनी भी दी गई है।
बुधवार को ट्रंप ने ‘ट्रुथ सोशल’ पर भारत की व्यापार नीतियों को “दुनिया की सबसे ऊंची और कठिन” बताया। इससे भारत को क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले रियायतें मिलने की उम्मीदों को झटका लगा है। वियतनाम पर 20%, इंडोनेशिया पर 19% और जापान पर 15% टैरिफ है।
Bloomberg की रिपोर्ट के अनुसार, अगर टैरिफ 25% से ऊपर जाता है, तो जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत के कुल निर्यात का लगभग 10% प्रभावित हो सकता है। 2024 में भारत-अमेरिका व्यापार $129.2 अरब तक पहुंच चुका है।
किन क्षेत्रों पर सबसे ज़्यादा असर?
1. रिफाइनरी सेक्टर:
सरकारी कंपनियां जैसे इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम, और निजी कंपनियां जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज पर बड़ा असर पड़ सकता है। भारत अपने कुल तेल आयात का 37% रूस से करता है। अगर रूसी तेल पर प्रतिबंध लगा या टैरिफ बढ़ा, तो लागत बढ़ेगी और मुनाफा घटेगा। रिलायंस ने इस साल रूस से रोजाना 5 लाख बैरल तेल खरीदने का करार किया है।
2. रत्न और आभूषण उद्योग:
जेम एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ने इस फैसले को “गंभीर चिंता” बताया है। इस क्षेत्र का अमेरिका को निर्यात $10 बिलियन से अधिक है। टैरिफ से लागत बढ़ेगी, डिलीवरी में देरी होगी और मूल्य निर्धारण प्रभावित होगा, जिससे लाखों श्रमिकों और कारीगरों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।
3. इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर:
भारत अब अमेरिकी स्मार्टफोन सप्लाई का बड़ा केंद्र बन चुका है, खासकर Apple के iPhone के लिए। लेकिन 25% टैरिफ से भारत की इस स्थिति को झटका लग सकता है। Bloomberg Intelligence के अनुसार, इससे Apple की चीन पर निर्भरता कम करने की रणनीति प्रभावित हो सकती है।
4. फार्मास्युटिकल सेक्टर:
भारत अमेरिका में जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है, जिसकी वार्षिक निर्यात वैल्यू $8 बिलियन है। सन फार्मा, डॉ. रेड्डीज़ और सिप्ला जैसी कंपनियां अपनी कमाई का 30% अमेरिका से करती हैं। IQVIA डेटा के मुताबिक, 2022 में अमेरिका की 40% दवाइयों की आपूर्ति भारत से हुई थी, जिससे अमेरिका की हेल्थकेयर प्रणाली को $220 बिलियन की बचत हुई थी।
5. कपड़ा और परिधान उद्योग:
Gap, Walmart, Pepe Jeans जैसी अमेरिकी कंपनियों को भारत से होम टेक्सटाइल और कपड़े की सप्लाई होती है। उद्योग संगठन के मुताबिक, अब वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धियों की तुलना में भारत को टैरिफ में कोई अतिरिक्त लाभ नहीं मिलेगा। Vardhman Textiles, Welspun Living, Indo Count और Arvind Fashions जैसी कंपनियों पर असर पड़ सकता है।
भारत के लिए यह टैरिफ नीतिगत और व्यावसायिक दोनों ही स्तर पर चुनौती है। सरकार को अब अमेरिकी प्रशासन से फिर बातचीत करनी होगी या घरेलू स्तर पर निर्यातकों के लिए राहत पैकेज तैयार करना पड़ सकता है।