जमानत पर छूटा नाइजीरियाई साइबर फ्रॉड आरोपी भारत से फरार, सुप्रीम कोर्ट ने जताई कड़ी चिंता

Cyber Fraud: झारखंड में करोड़ों के साइबर फ्रॉड का आरोपी एक नाइजीरियाई नागरिक जमानत मिलने के बाद भारत से भाग निकला। इस गंभीर मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी चिंता जताते हुए कहा कि विदेशी नागरिकों द्वारा बेल मिलने के बाद देश छोड़ देना भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली की अखंडता पर प्रश्नचिह्न है।

क्या है मामला?
नाइजीरियाई नागरिक को झारखंड पुलिस ने वर्ष 2019 में गिरिडीह के कारोबारी निर्मल झुनझुनवाला से 80 लाख रुपये की ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उस पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं 419, 420, 467, 468, 471, 120बी और आईटी एक्ट की धारा 66डी के तहत केस दर्ज किया गया था।

करीब दो साल से अधिक जेल में रहने के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने उसे 13 मई 2022 को जमानत दे दी। लेकिन आरोपी ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया और देश छोड़कर नाइजीरिया भाग गया।

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
झारखंड सरकार ने आरोपी की जमानत रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने सुनवाई करते हुए आरोपी की बेल रद्द कर दी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि-

  • यह प्रवृत्ति चिंताजनक है कि विदेशी नागरिक अपराध करने के बाद बेल का दुरुपयोग कर देश छोड़ जाते हैं।
  • भारत सरकार को इस दिशा में ठोस नीति बनानी चाहिए, ताकि ऐसे अपराधी मुकदमे से बचकर न भाग सकें।
  • आपराधिक न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाना आवश्यक है।

प्रत्यर्पण संधि की कमी बनी बाधा
भारत सरकार ने अदालत को बताया कि भारत और नाइजीरिया के बीच प्रत्यर्पण संधि नहीं है, इसलिए आरोपी को वापस लाना फिलहाल संभव नहीं है। अदालत ने इस पर भी चिंता जताई और केंद्र को सुझाव दिया कि वह ऐसे देशों के साथ कानूनी ढांचे और सहयोग बढ़ाए।

सुप्रीम कोर्ट की पुरानी चेतावनी
यह पहला मौका नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई हो। नवंबर 2024 में भी अदालत ने कहा था कि साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में विदेशी नागरिक अक्सर बेल मिलने के बाद भारत से फरार हो जाते हैं। स्पष्ट कानूनी प्रक्रिया के अभाव में भारतीय एजेंसियां कार्रवाई करने में असमर्थ रहती हैं।