Lucknow News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में आम जनता और कर्मचारियों के लिए कई बड़े फैसले लिए। बैठक में कुल 15 प्रस्तावों पर मुहर लगी, जिनमें आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति, नई ई-बसों की खरीद, पैतृक संपत्ति की रजिस्ट्री शुल्क और निर्यात नीति जैसे अहम मुद्दे शामिल रहे।
आउटसोर्सिंग में सख्ती
बैठक में तय हुआ कि राज्य में यूपी आउटसोर्सिंग सेवा निगम का गठन किया जाएगा। इसके बाद कर्मचारियों को एजेंसियों के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा, बल्कि उनकी सैलरी सीधे बैंक खाते में आएगी। निगम ने न्यूनतम वेतनमान ₹16,000 और अधिकतम ₹20,000 तय किया है। साथ ही, भर्ती में आरक्षण लागू होगा और चयन प्रक्रिया लिखित परीक्षा व इंटरव्यू से होगी।
लखनऊ-कानपुर को सौगात
परिवहन के क्षेत्र में बड़ा फैसला लेते हुए कैबिनेट ने लखनऊ और कानपुर में 100-100 ई-बसें चलाने का प्रस्ताव मंजूर किया। सरकार का मानना है कि यह कदम न सिर्फ लोगों को बेहतर यात्रा सुविधा देगा बल्कि प्रदूषण कम करने में भी मददगार होगा।
निर्यातकों को राहत
कैबिनेट ने नई निर्यात नीति (2024-2029) को भी मंजूरी दी। इसमें अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक चुनौतियों को देखते हुए राज्य के निर्यातकों और कारोबारियों को विशेष छूट दी जाएगी, ताकि यूपी का निर्यात और तेज़ी से बढ़ सके।
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रजिस्ट्री शुल्क और इलेक्ट्रॉनिक्स नीति
सरकार ने पैतृक संपत्ति की रजिस्ट्री पर ₹5000 शुल्क तय किया है। इसके साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स पॉलिसी को हरी झंडी दी गई है। इस नीति का लक्ष्य उत्तर प्रदेश को देश का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण हब बनाना है।
शिक्षा क्षेत्र में नई यूनिवर्सिटी
जनपद शाहजहांपुर में मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट के अंतर्गत स्वामी शुकदेवानंद राजकीय विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रस्ताव मंजूर किया गया। इससे उच्च शिक्षा में युवाओं को नए अवसर मिलेंगे।
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दिव्यांगजन सशक्तिकरण केंद्र
वाराणसी के परगना रामनगर स्थित तीन एकड़ भूमि को दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग को हस्तांतरित करने का प्रस्ताव भी पास हुआ। यहां समेकित क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना की जाएगी, जो सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत कार्य करेगा।
संभल रिपोर्ट भी पेश
बैठक में संभल की न्यायिक रिपोर्ट भी पेश की गई और अन्य कई प्रस्तावों पर चर्चा के बाद उन्हें स्वीकृति दी गई।
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