Lucknow News: कभी जर्जर इमारतें, टूटी बेंचें और अधूरी चारदीवारी… यही पहचान हुआ करती थी उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों की। अभिभावक अक्सर कहते थे कि “सरकारी स्कूल में पढ़ाई से अच्छा है बच्चा घर पर बैठा रहे।” लेकिन अब तस्वीर बदल गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चल रहे ऑपरेशन कायाकल्प और प्रोजेक्ट अलंकार ने इन विद्यालयों को बच्चों और अभिभावकों का भरोसेमंद केंद्र बना दिया है।
बदलते हालात की कहानी
2017 से पहले अधिकांश सरकारी स्कूलों में
- न शौचालय थे,
- न स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था,
- न ही बिजली और फर्नीचर।
लेकिन आज वही स्कूल रंगीन दीवारों, पक्की चारदीवारी, सोलर लाइट्स और टाइल्स से चमचमाते शौचालयों से लैस हैं। बच्चे साफ-सुथरे क्लासरूम में बैठकर आधुनिक बोर्ड्स और बेहतर फर्नीचर के साथ पढ़ाई कर रहे हैं।
ऑपरेशन कायाकल्प की सफलता
2018 में शुरू हुई इस योजना ने आज 97% स्कूलों को बुनियादी सुविधाओं से युक्त कर दिया है।
- अलग-अलग शौचालय बालक-बालिकाओं के लिए,
- दिव्यांग बच्चों के लिए रैंप,
- सुरक्षित पेयजल,
- क्लासरूम में टाइल्स और स्वच्छ रसोईघर।
नीति आयोग ने भी इस मॉडल को देशभर के लिए आदर्श माना है।
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माध्यमिक शिक्षा का मेकओवर
प्रोजेक्ट अलंकार ने 2,295 स्कूलों की स्थिति बदलने की जिम्मेदारी उठाई है।
- अब स्कूलों में स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर लैब, लाइब्रेरी और वाई-फाई मिल रहे हैं।
- बच्चों की प्रतिभा निखारने के लिए खेल मैदान, ओपन जिम और बहुउद्देशीय हॉल बनाए जा रहे हैं।
- संगीत, आर्ट एंड क्राफ्ट कक्ष और व्यावसायिक शिक्षा केंद्र नई संभावनाओं के दरवाजे खोल रहे हैं।
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भविष्य की ओर कदम
आज गांवों के स्कूल सिर्फ बच्चों की पढ़ाई का स्थान नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा का प्रतीक बन चुके हैं। अभिभावक अब गर्व से कहते हैं कि “हमारे बच्चे भी आधुनिक सुविधाओं वाले स्कूलों में पढ़ते हैं।”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि “हर बच्चे को गुणवत्ता पूर्ण और समान शिक्षा देना हमारी सरकार की जिम्मेदारी है। यही आने वाले कल का उज्ज्वल भविष्य है।”
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