Lucknow पहुंचे शुभांशु शुक्ला… बच्चों को दिया ‘2040 मून लैंडिंग’ का मंत्र

Caption Shbhanshu Shukla: अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने सोमवार को अपने गृह जनपद लखनऊ पहुंचकर छात्रों से अंतरिक्ष यात्रा से जुड़े अनुभव साझा किए। सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) में आयोजित कार्यक्रम में उनका बच्चों ने परेड के साथ स्वागत किया।

शुक्ला ने छात्रों से कहा कि ‘आप ही हमारी असली ताकत हैं, आने वाले समय में आप भारत को ग्लोबल स्पेस मिशन में मदद करेंगे। स्कूल में बच्चों को संबोधित करते हुए शुभांशु ने कहा कि साल 2040 में भारत चंद्रमा पर मानव भेजेगा। इस मिशन के लिए आप लोग भी तैयारी कीजिए।

उन्होंने बच्चों को कहा कि कभी भी हार मत मानिए। मैं जब आपकी उम्र का था तो आपसे भी औसत था। आप मुझसे भी बेहतर कर सकते हैं। आप सब लोगों ने दिल्ली से ज़्यादा स्वागत और प्यार दिया। शुक्ला ने अंतरिक्ष यात्रा को नए जीवन से तुलना करते हुए कहा कि जब कोई अंतरिक्ष में जाता है तो सबसे बड़ी चुनौती शून्य गुरुत्वाकर्षण होती है। दिल धीरे-धीरे धड़कना शुरू करता है, शरीर को नए वातावरण में ढलने में समय लगता है। मानव शरीर एक उपन्यास की तरह है, जो तेजी से परिस्थितियों को स्वीकार कर लेता है।

उन्होंने बताया कि मिशन के दौरान सात भारतीय और चार वैश्विक प्रयोग किए गए, जिनका उद्देश्य वैज्ञानिक खोजों को आगे बढ़ाना था। आपात स्थितियों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में खतरे अचानक उत्पन्न हो सकते हैं। कभी फायर अलार्म बजना, कभी फॉल्स अलार्म आना, जमीन से चेतावनी मिलना या फिर छोटी तैरती वस्तुएं जो नुकीली होकर नुकसान पहुंचा सकती हैं।

धरती पर लौटने के अनुभव को उन्होंने बेहद चुनौतीपूर्ण बताते हुए कहा कि वापसी के बाद शरीर का भारीपन महसूस होता है और दिमाग भूल जाता है कि सामान्य जीवन में कितनी मेहनत करनी पड़ती है। शुक्ला ने छात्रों को लगन और निरंतरता को सफलता की कुंजी बताते हुए कहा कि मैं उतना टैलेंटेड नहीं था, जितना आप हैं। लेकिन मेहनत और लगातार प्रयास ने मुझे यहां तक पहुंचाया।

यह भी पढ़ें…

Lucknow News: प्रेमानंद महाराज का जबरा फैन 7वीं का छात्र, 400 Km साइकिल लखनऊ से पहुंचा वृंदावन

उन्होंने बताया कि स्पेस मिशन के दौरान उनसे ज्यादातर लोगों ने यही पूछा कि वे एस्ट्रोनॉट कैसे बने? 2040 तक प्रस्तावित मून लैंडिंग योजना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह लक्ष्य अब असंभव नहीं है। इसे भारत के युवा ही पूरा करेंगे। कार्यक्रम में मौजूद सीएमएस की चेयरपर्सन भारती गांधी ने याद किया कि शुभांशु की पत्नी कामना भी इसी स्कूल में पढ़ी हैं। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने शुभांशु को जीवनसाथी के रूप में क्यों चुना, तो संकोचवश उन्होंने जवाब नहीं दिया।

यह भी पढ़ें…

बुलंदशहर में दर्दनाक सड़क हादसा… 9 लोगों ने गंवाई जान, 2 की हालत नाजुक

इस पर शुक्ला ने खुद माइक लेकर कहा कि ‘कामना विजनरी हैं, उन्होंने मुझे बहुत पहले पहचान लिया था।’ उनके इतना कहते ही हॉल तालियों से गूंज उठा। जल, इस दौरान जल,थल और वायु, तीनों सेनाओं की ड्रेस में बच्चों ने ग्रुप कैप्टन को सलामी दी। इस दौरान ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारों से परिसर गुंजायमान हो उठा।

यह भी पढ़ें…

Agra News: फिल्म रेड की तरह दवा कारोबारी पर पड़ा छापा, STF के 35 अफसरों की टीम…